डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन

अलविदा दिल्ली, तुम्हारा आसमां

अलविदा दमघोंट जहरीला धुंआ
अलविदा फैशन भरी तन्हाइयां
अलविदा मतलब भरी रुसवाइयां
अलविदा मेले नुमाइश शोरगुल
अलविदा बेकार के जल्से बिगुल
अलविदा दिल्ली की जिंदा महफिलें
अलविदा मुर्दा बनातीं मुश्किलें
अलविदा धक्कों से ठिलती जिंदगी
अलविदा दौलत ढकी बेपर्दगी
अलविदा वे तंग गलियां कैद बू
अलविदा बिजली बिना गरमी व लू
अलविदा देवासुरी सब मोटरें
अलविदा वे जानलेवा टक्करें
अलविदा रिक्शा व तांगों की जबां
अलविदा कुढ़ती हुई खामोशियां
अलविदा वह भीड़ का मारा शहर
अलविदा सस्ती मिलावट का जहर
अलविदा फुटपाथ भिखमंगों के दिल
अलविदा वे झुग्गियां चूहों के बिल
अलविदा उजड़े दिखें आबाद भी
अलविदा बरबाद का उन्माद भी
अलविदा हर छेड़खानी हर चुहल
अलविदा कुछ हो न दिल जाए बहल
अलविदा वह पागलों-सी चिल्लपों
अलविदा झगड़े बहस क्या और क्यों
अलविदा मतलब-परस्ती दिल्लगी
अलविदा ईमान की साथिन ठगी
अलविदा संसद व दफ्तर गजब के
अलविदा बाबू निकम्मे भी थके
अलविदा सब बाबुओं की अफसरी
अलविदा सब राजनीतिक मसखरी
अलविदा आजाद औरत सुर्खरू
अलविदा घूंघट में सकुचाई बहू
अलविदा कालिज की सब खरमस्तियों
अलविदा आधी अधूरी हस्तियों
अलविदा ऐ पांडवों मुगलों के धन
अलविदा अंग्रेज के लूटे चमन
अलविदा खंडहर उजड़े मकबरों
अलविदा सोए समय के पत्थरों
अलविदा गढ़ कोट कीली लाट को
अलविदा यमुना के प्यासे घाट को
अलविदा इतिहास की दहलीज को
अलविदा बूढ़ी हुई हर चीज को
अलविदा छत के कबूतर सीटियों
अलविदा संधों से निकली चींटियों
अलविदा ककड़ी कचौरी चाट को
अलविदा ढीली पुरानी खाट को
अलविदा झूठे व सच्चे ठाठ-बाट
अलविदा नेताओं की हर सांठ-गांठ
अलविदा ऐ धर्म की मायापुरी
अलविदा सारी सियासत की धुरी
अलविदा नंगे दिखावे बांकपन
अलविदा तरसे हुए भूखे बदन
अलविदा ऐ चांद से काटी छुरी
अलविदा ऐ कमसिनी संगत बुरी
अलविदा ओ याद की मचली सुबह
अलविदा ओ प्यार की पहली जगह
अलविदा बचपन की ओ लूटी पतंग
अलविदा ओ उम्र के माया-कुरंग
अलविदा हर चीज में धोखाधड़ी
अलविदा गुंडे व दादा की तड़ी
अलविदा दुश्मन के दिल की सब जलन
अलविदा ऐ पेशगी रक्खे कफन
अलविदा फिरं लौटने की आरजू
अलविदा मिलना वतन से रूबरू
अलविदा ऐ दोस्तों सब खुश रहो
अलविदा कहकर कहो आते रहो

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