
– सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका
भारतम्बा
भारत की मातृ देवी
हो सब की तुम माता
जन जन कहे तुम्हे जननी
अपनी सर्वश्रेष्ठ भारत माता
माँ सुन लो सब की पुकार
गिरे हुओं को फिर से उठाओ
हैं सब बेहद परेशान
कुछ बीमार और हैरान
है सब और हा हा कार
मानवता की है लूटमार
माँ अब फिर से जागो
सोये हुओं को जगाओ
अभी वक़्त है बहुत कठिन
कुछ उदास और निराश भी
न कहीं कोई रास्ता
है न रोशनी की किरण
माँ ले मशाल हाथ में
तम हटा रौशनी दिखाओ
डरा हुआ है मानव
भयातुर और भयभीत
इंतज़ार है चमत्कार का
सर्व व्यापी के प्यार का
हाथ थाम लो सब का
माँ उन्हें और न भटकाओ
मौसम में फूल खिले नहीं
राही कहीं भी बढे नहीं
मंज़िल बड़ी दूर है अतः
आकृष्ट तो कर सकती नहीं
माँ निर्जीवों में जान फूँक
जीवन की सौगात दिखाओ
भारतीय स्वंत्रता संग्राम में
सैनानियों का हौंसला था टूटा
किया था तब भी तुमने
सदैव उत्साह का संचार
ले आशीष ब्रह्मा विष्णु महेश से
माँ भारत का उद्धार करवाओ
साहस है सब का छूटा
मानो सब का है साथी रूठा
मन हैं सब के खिन्न
उदासीन और तन्हा भी
हो जायेगा सब पहले जैसा
माँ एक “रोशन” सा विश्वास दिलाओ
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