एक फोटो भर नहीं
मैं कोई फोटो भर नहीं
मैं मात्र चेहरा भी नहीं
जिसे देखो
रॉयल डॉल्टन क्रिस्टल के
फ्रेम में जड़ो, सराहो
रंगीन सपने सजाओ
प्रेम गीत गाओ
रात को उसके सामने बैठ
अपनी वासना को मिटाओ
अपने वॉलेट में रखो
और साथ में लिए घूमते रहो
अपने मित्रों को दिखाओ
और जब दिल टूट जाए या भरने लगे
तो फाड़ डालो
और दुकड़े – टुकड़े कर दो
सुलगा दो अपने लाइटर से
या किरोसिन डालकर
मैं सिर्फ फोटो हूँ न!
पर मैं फोटो भर नहीं
शरीर भर भी नहीं हूँ
मैं गंदुमी रंग के चेहरे और
तीखे नाक नक्श की
सुंदर स्त्री भर भी नहीं हूँ
न ही मैं सिर्फ अक्षर हूँ
जिसे लिखो और मिटा डालो
केवल शब्द भी नहीं हूँ
जिसे बोल लो और भूल जाओ
मैं अर्थ हूँ, भाव हूँ
प्रेम हूँ, सद्भाव हूँ
स्पंदन हूँ, क्रंदन हूँ
कस्तूरी, चंदन हूँ
चेतना हूँ, संवेदना हूँ
मैं कर्म हूँ और धर्म हूँ
मैं अनादि हूँ, अनंत हूँ
मैं चतुर्दिश हूँ, दिगंत हूँ
प्रकृति हूँ, निर्माण हूँ
मैं स्त्री हूँ, मैं प्राण हूँ
मैं फोटो भर नहीं हूँ
मैं स्त्री हूँ !
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-रेखा राजवंशी