मीठा बन!
जिह्वा से बोलोगे तो क्या घाव करोगे दूजे को ,
ऐसे बोल बोलना बंधु , दोस्त बने ,जो हो दुश्मन।
मीठा बन।
हँस दे जो भी देखे तुझको, चूम ले माथा जो भी मिले ,
सारे जग को अपना कर ले, जग से मिलेगा अपनापन।
मीठा बन।
नग्न है आया , नग्न है जाना ,बीच में सारा खेल ख़ज़ाना ,
गया सिकंदर , गया गज़नवी, गए कंस और दुर्योधन।
मीठा बन।
शब्द से ज्ञान, शब्द से बाण, , शब्द से शूल ,शब्द से प्राण,
जैसे चाहे गढ़ सकता है , हल्का लेना शब्द का घन।
मीठा बन।
मन की धरती, जिह्वा का हल,शब्द के बीज जो बोता है तू ,
यही बनेगा फल जीवन का , शब्द है तेरा असली धन।
मीठा बन ।
कैकेयी के तीखे बोल , राम मगर बोले मीठा ,
राम-से बोल जो बोलेगा तू , कभी सफल ना हो रावण।
मीठा बन ।
मीठे फल हैं सबको भाते , कड़वे फल ना कभी सुहाते,
यूँ तो रीठे कड़वे होते , गुरु नानक का रीठा बन ।
मीठा बन ।
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-हरप्रीत सिंह पुरी