ऋषि स्वामी दयानन्द

मेरी राहों में एक दीपक जलाया
अंधेरों को वेदों से उसने हटाया
चलो आज से मान लो उनको प्यारो
चलो आज से मान लो उनको प्यारो
दयानन्द क्या था, गजब का बला था
दयानन्द क्या था गजब का बला था

वेदों से उसने किया जो उजाला
छुआ-छूत उसने दिलों से निकाला
धर्म पर चलना उसी ने सिखाया
भेद मिटाया, भाव मिटाया
सभी कुछ मिला है वेदों को पाकर
सभी कुछ मिला है वेदो को पाकर
दयानन्द क्या था गजब का बला था
दयानन्द क्या था गजब का बला था

दयानन्द नहीं हैं पर उनकी है वाणी
जो वेदों से हमको सिखाया यह वाणी
तो स्वामी दयानन्द की देन है प्यारे
नई दौड़ से हमको मंजिल मिलेगी
मैं दीपक हूँ, जीता हूँ वेदों को मानकर
मैं दीपक हूँ, जीता हूँ वेदों को मानकर
दयानन्द क्या था गजब का बला था
दयानन्द क्या था गजब का बला था

तेरे मौत पर हम ना आँसू बहाए
ना अफ़सोस जाना ना जी को जलाए
धर्म के लिए जान देकर तो देखो
वीरों तुझे मिलेगा खुशी का खजाना
मिलेगा प्रभु तुमको खुद को मिटाकर
मिलेगा प्रभु तुमको खुद को मिटाकर
दयानन्द क्या था गजब का बला था
दयानन्द क्या था गजब का बला था

मेरी राहों में एक दीपक जलाया
अंधेरों को वेदों से उसने हटाया
चलो आज से मान लो उनको प्यारों
चलो आज से मान लो उनको प्यारो
दयानन्द क्या चा गजब का बला था
दयानन्द क्या था गजब का बला था

***
-कारमेन सुयश्वीदेवी जानकी

१९८०

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