ख्वाहिश

दुनिया की चार दिवारी में बंद हो जाएँ
यह कभी हमारी ख़्वाहिश नहीं।
कुछ कदम साथ चल कर
तुम्हें मँझधार में छोड़ दें
यह हमारी फ़ितरत ही नहीं।

दो कदम तुम चलो
और दो कदम हम चलें
बस यूँही साथ चलते – चलते
सफ़र कट जाए
यह हमारी ख्वाहिश ही सही।

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-पुष्पा भारद्वाज-वुड

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