तरक्की

अब हमारा अपना कुछ नहीं रह गया है
हमने बहुत तरक्की कर ली है।
सोशल मीडिया ने हमारा सब कुछ
सबके सामने फैलाकर रख दिया है।

हमारे दिल के किसी गहरे कोने में
सहेज कर रखे विचारों
और हमारी भावनाओं को
जाने-अनजाने कुरेद दिया है।

हमारे दर्द की किसी को
भनक भी न पड़े
हमारी इस कोशिश को
नाकाम कर दिया है।
हमारा सब कुछ खुले आम सब की
बपौती बन गया है।

सैल्फी, फोटो और कलम के जरिए
सरे आम सबकी संपत्ति बन गई हैं
दिल के किसी कोने में बसी
हमारी भावनाएं।

अब तो नए मेहमान का स्वागत
सरेआम एलान करके करते हैं हम
गठबंधन की सूचना भी
इस सार्वजनिक पटल पर मिलती है।

क्या कहें अब तो अंतिम विदाई भी
सार्वजनिक पटल पर देने लगे है लोग।

लाईक, फॉलो और शेयर
के इस नए बाजार में
इंसान की कीमत के मायने ही
बदल दिए हैं हमने।

होड़ सी लग गई है
अपनी पॉपुलेरिटी सिद्ध करने की।
हर गतिविधि को दुनिया से
साझा करने की लालसा ने
हटा दिए हैं सारे पर्दे।

वाकई में हम बहुत आगे बढ़ गए हैं
हमने बहुत तरक्की कर ली है।

*****

-पुष्पा भारद्वाज-वुड

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