छाले

चलो छिपा लें दिल के छाले
औरों से भी खुद से भी
माना हम गमगीन बहुत हैं
और आंसू नमकीन बहुत है
रंगीन तराने चलो सुना ले
औरों से भी खुद से भी

चलो छिपा लें दिल के छाले……

वो तो हमको भूले अब हैं
न न वो मसरूफ ग़ज़ब हैं
यूँ ही बहाने चलो बना लें
औरों से भी खुद से भी

चलो छिपा लें दिल के छाले……

खुशियाँ गायब , हंसी भी गुम है
लब हैं सूखे, आँखें नम हैं
कई लतीफे चलो सुना ले
औरों से भी खुद से भी

चलो छिपा लें दिल के छाले……

जीवन बहती इक दरिया है 
तूफान उमड़ते भीतर बाहर 
कह दो कि पतवार सम्भालें 
औरों से भी खुद से भी 

चलो छिपा लें दिल के छाले……

पीर बहुत हैं , घाव हैं गहरे
कहने पर दुनिया के पहरे
क्या होगा गर कह डालें
औरों से भी खुद से भी

चलो छिपा लें दिल के छाले……

*****

-मीनाक्षी गोयल नायर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »