दिल्लगी

आँखों ही आँखों में आपने ना जाने क्या कह दिया।
कि हमने अपना दिल आपके नाम कर दिया।।
बस यही तो एक भूल की हमने।
कि बिना सोचे समझे आपसे प्यार कर लिया।।
इस छोटी भूल की जो सजा दी है आपने।
कि अब प्यार के नाम से ही दिल डर गया।।
प्यार के बिना ही काट लूँगा अब जिंदगी।
यह दिल कहता है।।
फिर रात के अंधेरों में चुपके से
खुद ही क्यों रोता है?
अब खुद से किया है वादा,
कि फिर से नहीं करेंगे दिल्लगी।
लेकिन क्या अकेले एक पत्थर की तरह।
बीत जाएगी पूरी जिंदगी?

*****

-सई शिधये

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