ये दिवाली वो दिवाली

क्या याद है तुम्हें
अपनी वो दिवाली
उस गाँव के
छोटे से घर पर
अब तो
कई साल बीत गए हैं
छूट गया गाँव
टूट गया वो घर
हमारी दिवाली के बीच
आमावस आ गई है
हर दिवाली के दरमीया
चौदह वनवास आ गई है
अब, हम हम न रहे
तुम तुम न रहे
तेरे मेरे बीच से
दिवाली
अजनबी हो चली है
ये दिवाली
वो दिवाली
न रही।।

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-खेमेंद्र कमल कुमार

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