कौन है यह?

नन्ही सी छोटी सी जान
काम ढंग से करे तो महान
ना करे तो बने हैवान
लचीली, फुर्तीली, सुरीली

सुधा की यह तान
योगी का यह मान
इंद्र का वर्चस्व ये
योगी का सर्वस्व ये

बने बनाये बिगाड़ देती है ये काज
बड़े बड़े गिर गए इस के सम्मुख राज

चुप रहे तो शिला बनती है
ना रहे तो किला बनती है

माँ की स्वर लहरी है
बातें बड़ी गहरी हैं
पिता का ज्ञान है
समाज में दिलाती मान है।

भाई के हाथ की डोरी है
गरीब के पीठ की बोरी है

शहद जब घुलता है
बावरा मन डुलता है

रसिक सी रिसती है
प्रेम में पिसती है
ककई सी कड़वी है
यशोदा की गड़वी है

तू कहाँ भटकी है
कृष्णा की मटकी है।
ताक़त है तलवार की
चलती है तेज धार सी

चाहे तो रस्ते में छोड़ दे
चाहे तो पहाड़ मोड़ दे
यही तो बात है
बड़ी कमबख़्त जात है

सोच कर कमाल करना
ध्यान से इस्तेमाल करना
जो अड़ जाये तो अड़ी है
फिर ना बड़ती एक घड़ी है

सारे संसार को नचाती है
खूब लीला रचाती है
कौन है ये? है क्या कोई तूफ़ान
नहीं भाई, ये तो है नन्ही ज़ुबान।

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-मधु खन्ना

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