आत्मीय लोग
कनाडा के सरकारी दफ्तर आया हूँ
स्वागतकर्मी पूछती है –
क्या सहायता करूँ ?
पेंशनर हूँ, आदतन तीन-चार काम निकाले हैं
वह मुस्कुराती एक पेपर टोकन देती है
और संबंधित फ़ॉर्म।
मेरा क्रम जल्दी आ जाता है
आधे-अधूरे फ़ॉर्म लिए काउंटर पर पहुँचता हूँ
ख़ुद को साबित करने के लिए मेरे पास
ख़त्म हो चुका ड्राइविंग लाइसेंस है
मुझे नया लाइसेंस चाहिए
नया स्वास्थ्य सेवा कार्ड और
कार का फ़िटनेस स्टिकर भी।
काउंटर पर जो अपरिचित है
मैं नहीं जानता उसका धर्म,
उसका मूल देश, उसकी मातृभाषा
वह शेष जानकारी भरता है क्लर्क बन
फोटो लेता है फोटोग्राफर बन और
जारी करता है दस्तावेज़ अधिकारी बन।
मैं लौटने लगता हूँ तो वह पूछता है
कुछ और सेवा या कोई प्रश्न
मेरी मुस्कुराहट और शुक्रिया के बदले
वह आदमी बन जाता है और कहता है
आपका दिन शुभ हो।
अब कुछ गज़ दूर चल
मुझे भारत के दूतावास जाना है
मेरे पाँव काँपने लगते हैं
छड़ी हाथ से छूटने लगती है।
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-धर्मपाल महेंद्र जैन