
हम कामयाब हैं
सफलता के क़दम छोटे,
सभी अतिशय अहम होते,
हम कामयाब हैं।
छोड़ कर निज देश अति प्रिय,
आये हैं विदेश दूर,
बनाया है स्वदेश इसे,
हम कामयाब हैं।
संतति से, संस्कृति से,
सजाया गीत, साधना से,
रोपे हैं अनेक यहाँ,
स्तम्भ भव्य भारत के,
हम कामयाब हैं।
डर कर हम भागे नहीं,
कठिनाइयों से रुके नहीं,
सम्मुख किसी के झुके नहीं,
बढ़ते रहे क़दम सदा,
हम कामयाब हैं।
आये थे जब सद्य यहाँ,
भारत था अनजान यहाँ,
आज भारत, भारतीय,
है संस्कृति का प्रचलन यहाँ,
सीखते हैं लोग, योग,
लगाते हैं समाधिध्यान,
लोकप्रिय है प्राणायाम,
हम कामयाब हैं।
भारत से लाये अनेक,
भोजनालय भव्य भोग,
चटनी अचार लाये,
चटपटे मसाले लाये,
समौसे, पकौड़े, चमचम
काले, गोरे, तथा पीले
सभी के, मन को लुभायें,
हम कामयाब हैं।
व्यंजनों का,
भारतीय,
अति प्रचुल प्रयोग यहाँ,
समौसे, बरफी, इमरती,
सभी का मन डोल जाये,
रसगुल्ले, गुलाब जामुन,
क्या खायें औ’ क्या न खायें।
खान पान की सौगात,
कैनेडा के लिये लाये,
हम कामयाब हैं।
भाषा लाये, भूषण लाये,
सुंदर परिधान लाये,
लहंगा, साड़ी,
तारों भरी झिलमिलाती और चुनरी,
रेशमी सलवार लाये।
आदमी सारे पहनते,
नेहरू जैकट और कुरते,
शेरवानी और अचकन,
सदा महफ़िल को सजायें,
शाल का अब आम फ़ैशन,
हम कामयाब हैं।
भरत-नाट्यम और कत्थक,
कथाकली व लोक नृत्य,
भांगड़ा भाता सभी को।
तबलों की थाप और,
सुन सितार की झंकार,
झूमें सभी मस्त होकर,
हम कामयाब हैं।
रंगबिरंगी होली लाये,
जगमग दीवाली लाये,
बॉलीवुड की चमचमाती,
चहल पहल धूम लाए,
भारत की रौनक़ से,
कैनेडा है किया रौशन,
हम कामयाब हैं।
विशाल भव्य मंदिरों से,
सजाया है विदेश हमने,
बनाया है स्वदेश इसे,
हम कामयाब हैं।
सुहृदयता संदेश लाये,
शांति का पैगाम लाये,
आध्यात्मिकता गहन लाये,
भारतीय महक से है,
महकाकर कैनाडा को,
अपना कर स्वदेश जैसा,
बनाया निज देश है,
हम कामयाब हैं।
सफलता के क़दम छोटे,
सभी अतिशय अहम होते,
हम कामयाब हैं, मैं कामयाब हूँ।
और
आप सब कामयाब हैं ।
हम कामयाब हैं।
*****
– परिमल प्रज्ञा प्रमिला भार्गव