कविता

अनुभूति करने की कवि में क्षमता,
व्यक्त करे वह बनती है कविता
पानी में ही यदि हो दरिद्रता
कैसे बहेगी सुरसरिसी सरिता?

वारि बहन ही आपगा नहीं है,
शब्द चयन ही कविता नहीं है,
नाले भी होते हैं लाभदायक,
तुकबंदियाँ मधुर गाने लायक।

पर्वत उदयन सागर विलयन,
कूलिनी का प्राकृति क जीवन,
स्रोत भावना उमड़े जब मन
प्रगटे कविता तुरंत उस क्षण।

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– डॉ. भारतेन्दु श्रीवास्तव

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