बसंत तेरे स्वागत में

बसंत तेरे स्वागत में
ठूँठ पड़े हिस्से
पाते संजीवन
सिरहन, थिरकन, नवरूपन
शब्द-रंग में नितर
मन का सूनापन
पहुँचाता
मेरी टीस तुम तक
कोमल कोंपल छलक
कार्डिनल कूजत अथक

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– मधु भार्गव

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