
प्रणय गीत
मैं प्रणय के गीत गाऊँ या न गाऊँ
तुम मुझे स्वीकार लेना
प्रात: अँधियारे सितारे जो छुपे
तुम उन्हें मत भूल जाना …
मैं प्रणय …
समय की नियत है ऐसी
दुःख सदा और सुख कभी
सुखी जीवन भला मैं कैसे बनाऊँ
मैं तुम्हें जीवन में सुख लाऊँ न लाऊँ
दुःख मेरे तुम बाँट लेना
मैं प्रणय …
प्रेम के पथ चल पड़ा हूँ
आँधियाँ तूफ़ान और काँटे ही काँटे
ये गहनतम रास्ता काटूँ तो कैसे
मैं तुम्हारे द्वार पहुँचूँ या न पहुँचूँ
तुम किवाड़ें खोल रखना
मैं प्रणय …
लालसा तुमसे मिलन की
पर नहीं है पास मेरे प्रेम के अतिरिक्त कुछ भी
भेंट मैं कैसे जुटाऊँ
मैं तुम्हें उपहार लाऊँ या न लाऊँ
नव दुल्हन सी सज मेरा सत्कार करना
मैं प्रणय …
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– राज माहेश्वरी