
अहसास
क्योंकि सपने अभी भी आते हैं
मन में आस जगमगाती है,
तुम नहीं हो आसपास कहीं, पर
तुम्हारे होने का अहसास हो आया है।
यादों का कारवां अभी भी आता है
पलकों ने मोती गिराकर ये राज़ बताया है
तुम नहीं हो आसपास कहीं, पर
तुम्हारे होने का अहसास हो आया है।
इन्द्रधनुष के एक-एक रंग को
तुमने सातों शिराओं में बहाया है
तुम नहीं हो आसपास कहीं, पर
तुम्हारे होने का अहसास हो आया है।
पूजा के फूलों की एक-एक पंखुड़ी को
तोड़ कर, तुम हो तुम नहीं हो कह
अपने पैरों पर ही चढ़ाया है
तुम नहीं हो आसपास कहीं, पर
दिल में आज जब दर्द उठा मुझे लगा
कहीं कुछ खोया सा याद आया है
मैंने ज़ख़्मों को बहुत छुपाया है
पर जाने-अनजाने बीती बातों ने
मुझे बहुत रुलाया है,क्योंकि
सपने अभी भी आते हैं
मन में आस जगमगाती है
तुम नहीं . . .
तुम्हारे होने का अहसास हो आया है!
– वंदिता बन्दिनी