दीपमाला

मेरे दीपों की माला में
एक दीप तुम्हारा भी है

साँसों की जीवनमाला में
एक साँस तुम्हारा भी है
आँखों से बहती धारा में
एक बूँद तुम्हारी भी है

मेरे दीपों की माला में
एक दीप तुम्हारा भी है

मन के बिखरे मनकों में
एक मनका तुम्हारा भी है
सात समुद्र कि इस दूरी में
एक समुद्र तुम्हारा भी है

मेरे दीपों की माला में
एक दीप तुम्हारा भी है

हम – तुम चाहे नहीं मिले पर
मिलते हैं यादों के दीप
एक उमर से एक उमर तक
जलतें हैं यादों के दीप
भूली -बिसरी यादों में
एक पल ख़ास तुम्हारा भी है

मेरे दीप की माला में
एक दीप तुम्हारा भी है

अपनेपन के आँगन में
क़िस्मत कि क्यारी में
भरोसे के दरख़्त पर और
जीवन के इस महके गुलशन में
एक फूल तुम्हारा भी है

मेरे दीपों की माला में
एक दीप तुम्हारा भी है!

*****

– वंदिता बन्दिनी

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