
आज तुम जीवित हो, हर्ष लेकर जियो
आज तुम जीवित हो, हर्ष लेकर जियो
मृत्यु का भय न हर्ष को डसे,
मृत्यु जब होगी, तब होगी
मृत्यु का भय न आज को कसे!
भय कभी शांति नहीं पहुँचाता
भय कभी हर्ष नहीं लाता
भय नहीं झूमता – गाता
भय नहीं मित्र बन पाता!
‘आज’ मनमीत बने, ‘आज’ मेरा है
आज मैं हर्ष से रहूँ, हर्ष आज मेरा है
क्यों किसी भय को मन में आने दूँ
आज मैं झूम लूँ, गा लूँ, आज मेरा है!
आज तुम जीवित हो, हे मेरे प्राण जियो
आज भय – गरल नहीं, हर्ष – अमृत को पियो
मृत्यु का भय, रोग का भय, भय अनेक जगती में
आज भय – मुक्त रहो, झूम के – गा के जियो!
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स्व. डॉ. शिवनन्दन सिंह यादव