
ज़िंदगी से प्यार करके देख तो
ज़िंदगी से प्यार करके देख तो।
मौत से तक़रार करके देख तो॥
बुज़दिली काफ़ूर सब हो जायेगी।
हौसला इकबार करके देख तो॥
जीत जायेगा तू हर इक जंग बस।
हाथ दो दो यार करके देख तो॥
मौत तो कुछ भी नहीं, बस ख़ौफ़ है।
ख़ौफ़ तू यह मार करके देख तो॥
मूँद मत आँखें किसी मल्लाह पर
बाजुएँ पतवार करके देख तो॥
आँसुओं से आँख मत बेकार भर
आग की बौछार करके देख तो॥
भीड़ में बिल्कुल भटक मत भेड़ सा
शेर सी हुंकार करके देख तो॥
क्यों ज़ख़ीरा जंग का करता जमा
जिस्म को औज़ार करके देख तो॥
है बुलंदी पर अगर रहना सदा
तू ज़मीं तैयार करके देख तो।
जुड़ जड़ों से ख़ुद की ख़ुद ख़ुद्दार बन
ख़ुद का ख़ुद उद्धार करके देख तो॥
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– संदीप त्यागी ’दीप’