लोरी

निंदिया बनके तेरी पलकों में छिप जाऊं
तू जागे मैं जागूं, तू सोए सो जाऊं
काली रात की अलकें भारी भारी
तेरी आँखें हैं कारी कजरारी
भोर किरण बन आऊं
तुझको चूमूं जगाऊँ
तू जागे मैं जागूं , तू सोए सो जाऊं.

पलकों में मीठे सपने तू है सजाए
नज़र न लगे तुझे मेरी उम्र लग जाए
सीने से अपने लगाऊँ
गोदी में अपनी झुलाऊँ
तू जागे मैं जागूं, तू सोए सो जाऊं

रातों को जाग के चंदा करे रखवाली
सिया है मेरी लाखों में एक निराली
नज़र न कहीं लग जाए
ले लूं मैं तेरी बलाएं
तू जागे मैं जागूं, तू सोए सो जाऊं

ढूंढ के लाऊँ सपने मीठे मीठे
अलकों में तेरी रंग भरूं मैं अनूठे
लोरी सदा मैं गाऊँ
मीठी नींद सुलाऊँ
तू जागे मैं जागूं, तू सोए सो जाऊं

जगने की तेरे चन्दा बाट निहारे
तू जागे तो वो सोने को जाए
तू सोए वो निहारे
तू जागे छिप जाए
तू जागे मैं जागूं, तू सोए सो जाऊं।

*****

– दिव्या माथुर

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