Category: बाल कथा साहित्य

माँ अगर मैं जयचंद होता – (बाल कथा)

माँ अगर मैं जयचंद होता नितीन उपाध्ये मोनू की दादी के गाँव से शहर आने की ख़ुशी जितनी मोनू को नहीं होती थी उससे ज्यादा उसके आसपास रहने वाले विक्की,…

मोटी सुई – (बाल कथा)

मोटी सुई नितीन उपाध्ये आज शाम से ही गोलू की बेचैनी देखने लायक थी। आज उसने अम्मा से कुछ खाने के लिए भी गुहार नहीं लगाई। वह तो अम्मा ने…

कुछ परीकथाएँ जो बच्चों के लिए नहीं हैं

(मूल भाषा रूसी से अनुवाद – प्रगति टिपणीस) अख़रोट- लियोनिद निकोलायेविच आंद्रेयेव एक समय की बात है। हरे-भरे एक जंगल में एक बहुत सुंदर गिलहरी रहती थी जिसे हर कोई…

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