आशीष मिश्रा के ग़ज़ल – (ग़ज़ल)
1. राम-सरल हृदय स्वयं से जब पहचान करेंगेसबको अपने राम मिलेंगे सरल हृदय है पहली नीतिवरना ना भगवान मिलेंगे तनिक कृपा मिल जाय अगरहे राम तेरा वरदान कहेंगे माया मोह…
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1. राम-सरल हृदय स्वयं से जब पहचान करेंगेसबको अपने राम मिलेंगे सरल हृदय है पहली नीतिवरना ना भगवान मिलेंगे तनिक कृपा मिल जाय अगरहे राम तेरा वरदान कहेंगे माया मोह…
ब्रिटेन का पतझड़ मानो धरती हरी नहींसोने की लगती एक परातपत्ते मटक-मटक बिखरेजैसे जाते कोई बरात उड़ते पत्ते, झड़ते पत्तेगिरते पत्ते, पड़ते पत्तेकहीं हवा में तैर रहेकहीं फ़िज़ा में सैर…
पानी की बूँद मैं पानी की बूँद चली क्यूँ दूर मेघ से पार।क्या होगा, ये क्या जाने, कैसा होगा संसार। सोच रही है बूँद ये कब सेक्या मेरा कल होगाक्या…
क्या हारा क्या जीत गया समय बहुत सा बीत गयाबहुत समय था रीत गया।अनुभव आपहि बोलेगाक्या हारा क्या जीत गया।। जीवन किसी नाव की भाँतिहिचकोले से हमें हिलातीसमय आप पतवार…
धीरे धीरे जब आँगन धीरे-धीरे जब आँगन मेंयहाँ फैलता सूनापन।गीले-गीले नयनों सेहृदय नापता अपनापन।। अपनापन रातों का सच्चादिन का है दर्पण कच्चासच में दंभ यथा भरने सेमेरा खाली बर्तन अच्छा…
आशीष मिश्रा हिंदी कविताएँ व कहानियाँ लिखते हैं। वे गत 14 वर्षों से लंदन में रहते हैं और एक software architect हैं। उनका एक काव्य संग्रह “मेरी कविता मेरे भाव”…