
– विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका
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सपने और अपने
बचपन में देखे थे सपने
सोचा,
पूरे होंगे एक दिन
लेकिन जब वो उम्र हुई
कुछ करने की
कर जाने की
सपनों को सच बनाने की
तो सलाह मिली अपनों से
पढ़ लिखकर
ब्याह रचाने की
ब्याह करो
फिर जो जी चाहे
कर लेना
सपनों से झोली भर लेना
बस रहे ध्यान!
परिवार, पति न हो हैरान
घर-गृहस्थी न थकने पाएँ
ना आहत हों मर्यादाएँ
ग़र लगे ज़रूरी करना तो
सपनों को सीमित कर लेना
घर भर की
ख़ुशियों से अपनी
ख़ुशियों की झोली भर लेना
सपनों को सीमित कर लेना!
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