ऑस्ट्रेलिया में हिंदी शिक्षण

-रेखा राजवंशी

ऑस्ट्रेलिया भी भारत की ही तरह एक बहु-सांस्कृतिक देश है, जहाँ अनेक देशों के लोग आकर बस गए हैं। यहाँ के खान-पान, रंग, रूप, भाषा, वेशभूषा  और वेशभूषा यानि विभिन्न संस्कृतियों का समावेश है।  ऑस्ट्रेलिया में बोले जाने वाली करीब तीन सौ भाषाओं में विविध भारतीय भाषाएं भी हैं। हिंदी के अतिरिक्त पंजाबी, तमिल, पंजाबी, गुजराती आदि हैं। ऑस्ट्रेलिया में भी हिंदी भी अन्य देशों की भांति पुष्पित, पल्ल्वित हुई है।

2021 की जनगणना के नवीनतम आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि नए भारतीय प्रवासी भारत से तेजी से आ रहे हैं। नए आंकड़ों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में हिंदी भाषी लोगों की संख्या 197,000 से अधिक है, जबकि 2016 में 159,652 थी। जिसका मतलब है कि हिंदी बोलने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। आंकड़ों के अनुसार न्यू साउथ वेल्स में, हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या 80,000 से अधिक है, उसके बाद विक्टोरिया (66,930) और क्वींसलैंड (21,344) हैं।इन परिणामों से यह भी स्पष्ट हुआ कि हिंदू धर्म देश में सबसे तेजी से बढ़ते धर्मों में से एक है।

आजकल शिक्षा और रोजगार के लिए अनेक भारतीय ऑस्ट्रेलिया आ रहे हैं, जिसके कारण दोनों देशों मध्य प्रगाढ़ संबंध स्थापित हो गए हैं। 

भारतीय भोजन, तीज त्यौहार, योग, मेडिटेशन के अतिरिक्त यहाँ की संस्कृति भी लोकप्रिय हो रही हैं। ऑस्ट्रेलिया के बहु सांस्कृतिक समाज में अनेकों भाषाएं बोली और पढ़ाई जाती हैं। उनमें हिंदी, या आधुनिक मानक हिंदी, भारत की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली आधिकारिक भाषा को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण हिंदी बोलना समझना महत्वपूर्ण हो गया है।

ऑस्ट्रेलिया में हिंदी शिक्षण का प्रारंभ

ऑस्ट्रेलिया में उन्नीस सौ सत्तर के दौरान हिंदी शिक्षण प्रशिक्षण मंदिरों में शुरू हुआ जब लोगों ने साहित्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन मंदिरों में शुरू किया।

औपचारिक रूप से हिंदी की शिक्षा पहली बार 1965 में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय ऑस्ट्रेलिया के आधुनिक भाषा संस्थान के प्रौढ़ शिक्षा संस्थान द्वारा तृतीय स्तर पर प्रारंभ की गई थी।

1997 में ऑस्ट्रेलिया में छह विश्वविद्यालय थे, जिनमें हिंदी पढ़ाई जा रही थी।

2011 में ऑस्ट्रेलिया की केंद्रीय सरकार के आदेश पर अकारा (ACARA) यानि ऑस्ट्रेलियन करिकुलम एसेसमेंट एंड सर्टिफिकेशन ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम के लिए हिंदी का चयन किया। 

2012 में, तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री जूलिया गिलार्ड ने “ऑस्ट्रेलिया इन द एशियन सेंचुरी” सरकार का श्वेत पत्र जारी किया। उन्होंने घोषणा की कि हिंदी को प्राथमिकता वाली भाषा के रूप में माना जाएगा – हर स्कूली बच्चा हिंदी  सीखने में सक्षम होगा। आजकल यहां हिंदी, विद्यालयी पाठ्यक्रम का हिस्सा है, और हिंदी का कक्षा 1 से 12 तक राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रम भी तैयार किया गया है।

ऑस्ट्रेलिया के विद्यालयों में हिंदी शिक्षण

ऑस्ट्रेलिया सरकार की भाषा संबंधी नीति के अनुसार कुछ विद्यालयों में हिंदी की शिक्षा का प्रावधान है। कुछ संगठन और व्यक्ति निजी रूप से हिंदी की शिक्षा प्रदान करते हैं।  यद्यपि उन्हें सरकार के शिक्षा विभाग की तरफ से कुछ सहायता दी जाती है। ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश प्रदेशों में हिंदी पढ़ाई जा रही है।

1986 में विक्टोरिया में मेलबर्न के ब्रिंजविक नगर में प्राथमिक स्तर पर सबसे पहले हिंदी की कक्षाएं प्रारंभ हुईं। 1993 में 11वीं 12वीं कक्षाओं में हिंदी पठन-पाठन को मान्यता मिल गई जिससे अनेक विद्यार्थियों ने हिंदी पढ़ना प्रारंभ किया।

1993 में विक्टोरिया की सरकार ने 11वीं और 12वीं कक्षा में हिंदी भाषा को हाई स्कूल में मान्यता दी।  बाद में यह मान्यता ऑस्ट्रेलिया के अन्य प्रदेशों में भी प्रदान की गई।  आज विद्यार्थी 12वीं कक्षा की हिंदी परीक्षा में बैठ सकते हैं।

मेलबर्न में हिंदी अध्ययन का कार्यक्रम प्रेप से सकेंडरी तक है।

ऑस्ट्रेलिया में तीन तरह के स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाती हैं –

  1. सामुदायिक विद्यालय – इन स्कूलों में सप्ताहांत में शनिवार और रविवार को हिंदी पढ़ाई जाती है।
  2. मुख्य धारा के विद्यालय – सम्पूर्ण ऑस्ट्रेलिया में मुख्य धारा के कुछ विद्यालयों में हिंदी सीखने की सुविधा है। 
  3. विश्व विद्यालय – ऑस्ट्रेलिया के दो विश्वविद्यालय – ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी कैनबरा और लॉ ट्रोब यूनिवर्सिटी मेलबर्न हिंदी की औपचारिक शिक्षा उपलब्ध करवाते हैं। 

सिडनी के हिंदी विद्यालयों में मुख्य हैं बाल भारती इंडो ऑस्ट विद्यालय, जहाँ पिछले पैंतीस साल से  रविवार हिंदी की कक्षाएं लगाई जा रहीं हैं। विद्यालय का प्रारम्भ माला मेहता तथा समुदाय के अन्य लोगों ने मिलकर किया।  अब इस स्कूल ने मुख्य धारा के कुछ विद्यालयों में आफ्टर स्कूल हिंदी की कक्षाएं लगानी शुरू की हैं।

साउथ एशियन हिंदी स्कूल कोगरा, AHMA स्कूल ऑफ़ लैंगवेजेस, ग्रीन वैली हिंदी स्कूल, लिवरपूल आर्ट्स एंड कल्चर – हिंदी विद्यालय, फिजी के हिंदी विद्यालय भी हिंदी पढ़ाते हैं।

न्यू साउथ वेल्स में ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में हिंदी शिक्षण और परीक्षा आरंभ करने का श्रेय डॉ जगदीश चावला को जाता है। बाद में इंडो ऑस्ट-बाल भारती हिंदी स्कूल में भी ग्यारहवीं और बारहवीं को हिंदी पढ़ाना शुरू किया गया और हिंदी एच एस सी की परीक्षा शुरू हुई। 

ऑस्ट्रल में राम कृष्ण हिंदी एन्ड कल्चरल स्कूल, कैनबरा में कैनबरा हिंदी विद्यालय चल रहे हैं। निजी व्यक्तियों द्वारा अनेक उपनगरों में हिंदी की शिक्षा प्रदान की जाती है। पर्थ में हिंदी समाज का हिंदी स्कूल आदि हिंदी शिक्षण की सुविधा प्रदान करते हैं।

कुछ सरकारी विद्यालय हिंदी का शिक्षण मुख्य धारा अंतर्गत करवाते हैं। जैसे न्यू साउथ वेल्स का वेस्ट राइड पब्लिक स्कूल पहला स्कूल था जहाँ पिछले सत्ताईस साल से हिंदी पढ़ाई जा रही है। आजकल न्यू साउथ वेल्स, विक्टोरिया, क्वींसलैंड और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में हिंदी शिक्षण की सुविधा कुछ स्कूलों में उपलब्ध हो गई है। 2023 से वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में हिंदी भाषा कक्षा एक से कक्षा बारह तक के पाठयक्रम में शामिल हो जाएगी।

ऑस्ट्रेलिया में विश्विद्यालय स्तर पर हिंदी शिक्षण

तृतीयक स्तर पर, हिंदी पहली बार ऑस्ट्रेलिया में 1965 में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के आधुनिक भाषा संस्थान के प्रौढ़ शिक्षा संस्थान द्वारा पेश की गई थी। वह पाठ्यक्रम, जो अभी भी उपलब्ध है, को विश्वविद्यालय डिग्री कार्यक्रम के एक भाग के रूप में लिया जा सकता है। 1972 से अन्य ऑस्ट्रेलियाई वयस्क शिक्षा केंद्रों और TAFEs ने छिटपुट रूप से हिंदी में पाठ्यक्रमों की पेशकश की है।

1997 में ऑस्ट्रेलिया में छह विश्वविद्यालय थे, जिनमें हिंदी पढ़ाई जाती थी, जब कि आज केवल दो विश्वविद्यालयों ऑस्ट्रेलियन नॅशनल युनिवेर्सिटी कैनबरा और लॉ ट्रोब युनिवेर्सिटी मेलबर्न में ही हिंदी पढ़ाई जा रही है, हालाँकि दोनों विश्वविद्यालय संसाधन की कमी से जूझ रहे हैं।

पहले जिन विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती थी उनमें से सिडनी विश्वविद्यालय और मोनाश, रॉयल मेलबर्न इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हिंदी की शिक्षा बंद कर दी गई।

जब कि कैनबरा ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में पिछले कई वर्षों से हिंदी पढ़ाई जा रही है, जिसे हिंदी विभाग प्रोफेसर रिचर्ड मैकग्रेगर द्वारा यहां स्थापित किया गया था । यहाँ हिंदी विषय स्नातक अध्ययन के लिए उपलब्ध है, एशियन स्टडीज संकाय के अंतर्गत स्नातक स्तर पर पाठ्यक्रम उपलब्ध है। ऑस्ट्रेलियन नॅशनल युनिवेर्सिटी में डॉ पीटर फ्रीडलैंडर हिंदी के प्राध्यापक हैं। डॉ. क्रिस्टोफर डायमंड भी ऑस्ट्रलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में हिंदी पढ़ाते हैं। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के सीनियर लेक्चरर डॉ पीटर फ्रीडलैण्डर ने राष्ट्रीय स्तर की दो हिंदी शिक्षण की कार्यशालाएं भी आयोजित करीं। लॉ ट्रोब यूनिवर्सिटी में डॉ इयन वुलफर्ड हिंदी के प्राध्यापक हैं।

सिडनी यूनिवर्सिटी में भी हिंदी शिक्षण होता था पर करीब दस साल पहले बंद हो गया और उसके बाद यूनिवर्सिटी के प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम में हिंदी उपलब्ध थी जो पिछले पाँच साल से बंद हो गई। चूँकि भारतीय अंग्रेजी बोल लेते हैं तो ऑस्ट्रेलिया के लोगों को हिंदी सीखने की आवश्यकता नहीं लगती। फिर भी बॉलीवुड और भारत में पर्यटन के इच्छुक ऑस्ट्रेलियन्स को हिंदी सीखने में रूचि है। 

टेफ यानि टेक्निकल एंड फरदर एजुकेशन के कुछ केंद्रों में भी वयस्कों के लिए हिंदी शिक्षा का प्रबंध था। 1980 में विक्टोरियन स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज़ की कक्षाओं में व्यस्क विद्यार्थी भी प्रवेश ले सकते थे। विक्टोरिया में काउंसिल ऑफ एडल्ट एजुकेशन भी शिक्षा वयस्कों को शिक्षा प्रदान करते हैं। इसी तरह सिडनी, और अन्य राज्यों में भी कुछ संस्थान व्यस्को को हिंदी शिक्षण की सुविधा प्रदान करते हैं। निजी तौर पर भी बहुत से व्यक्ति हिंदी की ऑनलाइन कक्षाएं लेते हैं।

यूँ तो ऑस्ट्रेलिया में हिंदी शिक्षण की सुविधाएं उपलब्ध हैं परन्तु हमारी जनसँख्या के हिसाब से काफी नहीं हैं।  बच्चे भी हिंदी सीखने के लिए अधिक उत्साहित नहीं लगते। न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित लेख के अनुसार इस सदी के अंत तक विश्व में बोली जाने वाली आधी भाषाएं विलुप्त हो जाएंगी। तो प्रश्न यह है कि क्या इस सदी के अंत तक विदेशों में हिंदी भी विलुप्ति के कगार पर पहुँच जाएगी? या फिर बॉलीवुड के गाने और संगीत कविता लिखने की प्रेरणा देंगे? या हिंदी फ़िल्में कहानी लिखने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करेंगी? जब भारतीय अप्रवासियों की भावी पीढ़ी हिंदी लिख, पढ़ ही नहीं पाएगी तो क्या ‘स्पीच टू टेक्स्ट’ जैसी तकनीक उन्हें हिंदी में लिखना सिखा पाएगी? या हिंदी रोजगार के ऐसे अवसर पैदा करेगी जो युवा पीढ़ी के मन में हिंदी के प्रति उत्साह का संचार करेंगे? जो भी हो यह आवश्यक है कि इस बारे में निरंतर विचार विमर्श किया जाए और अपनी अगली पीढ़ी को बराबर हिंदी बोलने  बल्कि  के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास जारी रखा जाए। 

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