गीत आशाओं भरे गाया करो

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गीत आशाओं भरे गाया करो
मुश्किलों से खौफ़ ना खाया करो ।

दर्द समझेगा तुम्हारा ना कोई
ज़ख़्म सबको ही न दिखलाया करो ।

चाहते हो दाख़िला दिल में अगर
उस का दरवाज़ा तो खटकाया करो ।

ज़िस्म तो माटी की है इक शक्ल बस
इसलिए इस पर न इतराया करो ।

चाहते हो प्यार तुमको सब करें
दूसरों पर प्यार बरसाया करो ।

पेड़, पक्षी, फूल, भंवरे, तितलियाँ
इनसे मिलने बाग़ में जाया करो ।

बात जब ‘आलोक’ अच्छी ना लगे
बस वहाँ से दूर हट जाया करो ।

***

-आलोक मिश्रा

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