माता-पिता

माता-पिता आज के
आज के युग का गहन संताप
माता-पिता का अस्तित्व तो है
पर रहते हैं वो चुपचाप!
यूँ तो देश-विदेश में भ्रमण कर आयें
परंतु चैन अपने स्वयं के घरों में ही पायें!
बेटे-बेटी के आग्रह पर
सिंगापुर, मलेशिया
अमेरिका, और यूरोप तक हो आयें
लेकिन, डेक में ही अपने दिन बिताएं!
पूछो कुछ तो शर्मा जायें
झुकी झुकी आँखों से
“घर वापस जाना है”
बार बार दोहरायें!!
पोटा-पोती, बेटा-बहू, बेटी सब को प्यार खूब जतायें
महीना होते हे सामान बाँध कर
घर वापस जाने को तैयार हो जायें !
वैसे तो माई-बाप को नमन है
लेकिन, बच्चों की जिंदगी को भी ये समझ न पायें!
भाग-भाग कर ये अपने जीवन के स्वर्णिम दिन बितायें !
एक जगह तो जैसे बैठ ही ना पायें!!!

***

-आराधना सदाशिवम

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