तुम
मैं शब्द बुनती रही
तुम अर्थ उघेड़ते रहे
पूरा न हो पाया रिश्तों का स्वेटर
तुम ऐसे क्यो हो?
मैं रेत पर घर बनाती रही
तुम लहरें बुलाते रहे
बन न पाया प्यार का घर
तुम ऐसे क्यों हो?
मैं सूरज की गर्मी से
मन के गीलेपन को सुखाती रही
तुम बादलों को बुलाते रहे
तुम ऐसे क्यों हो?
मैं ज़िंदगी को पीती रही
तुम अँधेरों से डराते रहे
पार न हो पायी मन की सुरंग
तुम ऐसे क्यों हो?
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-अनिता कपूर