आसमान वही छूते हैं

जो तूफ़ानों को चुनौती देते है,
सपने उनके ही सच होते है।
जो ऊँचाई से नहीं डरते है,
वही आसमान को छूते हैं।

जो हर पल को नई दिशा देते है,
वही वक़्त का चक्र बदलते है।
जो अपने दिल की सुनते है,
वही आसमान को छूते हैं।

जो खुद पर ऐतबार करते हैं,
वो सितारों से ज़्यादा चमकते है।
हिम्मत के पंख जिनको लगते है,
वही आसमान को छूते हैं।

जो हर बाधा को पार करते है,
वही मंजिल को गले लगाते है।
जो सूरज बनके अंधेरा मिटाते हैं,
वही आसमान को छूते हैं।

जो आग मे तपकर जलते है,
वही सोने से कुन्दन बनते है।
जो खुद को साबित करते हैं,
वही आसमान को छूते हैं।

जो गहरे समंदर में उतरते है,
उनको ही मोती सब मिलते है।
जो कर्तव्य पथ पर चलते है,
वही आसमान को छूते हैं।

जो सफ़र मे मुश्किलें नही घबराते हैं,
वो अपनी मंज़िल तक पहुँच जाते है ।
जो गगन मे बेख़ौफ़ ऊँचाई भरते है,
वही आसमान को छूते हैं।

तो चलो उठो, बढ़ो आगे,
अपने सपनों को पूरा करो।
जो मेहनत से न डरते हैं,
वही आसमान को छूते हैं।

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-राकेश मल्होत्रा

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