किताब ज़िंदगी की

ज़िंदगी सिर्फ़
काग़ज़ों पर जीना नहीं होता
उसके लिए
व्यावहारिक ज्ञान और
रेखांकित प्रयास की ज़रूरत होती है

तालीम की ईंट
शुरुआती नींव तो दे सकती है;
पर समुचित मज़बूत ढाँचा
और कुशलता की इमारत
तभी खड़ी हो पाती है,
जब प्रयास का अनुपात सही हो

परन्तु,
जीवन-यापन के लिए
इतना ही पर्याप्त नहीं होता
कुछ और संभावनाएँ तलाशनी होती हैं-
मसलन
दीवारों पर मेहनत का तैलीय रंग,
ज़मीन पर अहमियत का फ़र्श
और रोशनदान से आती तज़ुर्बे की रोशनी

ताकि हर दिन एक नई सुबह आए
और ज़िंदगी की किताब में
एक सार्थक पन्ना
हर दिन जुड़ता जाए!

*****

-कृष्ण कन्हैया

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