उज्जैन महिमा
बहती है क्षिप्रा यहाँ, यह धरती है महाकाल की
शिक्षा दीक्षा यही हुई थी बलदाऊ गोपाल की
जय जय महाकाल
बाबा महाकाल
सान्दीपनि का आश्रम हमको द्वापर में ले जाता है
मंगल ग्रह की जन्मस्थली का इस ब्रह्मांड से नाता है
कालिदास की ज्ञानदायिनी गढ़कालिका माता है
सिद्धवट के घाट पे दशरथ राम से तर्पण पाता है
इसी जगह पे कथा है जन्मी विक्रम और वैताल की
बहती है क्षिप्रा यहाँ यह धरती है महाकाल की
राज पाट को छोड़ भर्तहरी इन्हीं गुफाओं में आये
कालभैरव के द्वार पे तांत्रिक और सभी दर्शन पाए
सती की कोहनी जहाँ गिरी माँ हरसिद्धि वह कहलाये
बड़ा गणपती देख के बच्चे मन ही मन में हर्षाये
देख के प्यारी सुन्दर मूरत पार्वती के लाल की
बहती है क्षिप्रा यहाँ यह धरती है महाकाल की
वेधशाला में वराहमिहिर ने काल की गणना सिखलाई
कालियादेह के महल में देखों क्षिप्रा कैसे इठलाई
महाकाल का लोक देखने सारी दुनिया अकुलाई
सावन में कैलाश ही मानों धरती पर उतरा लाई
भक्तों से मिलने जब आती महाकाल की पालकी
चिंतामन के दर्शन कर के मन की चिंताएँ हर लो
रामघाट पे शाही स्नान से भवसागर से तुम तर लो
एक बार सिंहस्थ में आके अमृत का प्राशन कर लो
महाकाल का दर्शन करके पुण्यों से झोली भर लो
त्रिवेणी के घाट पे पूजा नवग्रह शनि विकराल की
बहती है क्षिप्रा यहाँ यह धरती है महाकाल की
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-नितीन उपाध्ये