IIश्री रामII
माँ-बाप की सेवा करे, उसके ह्रदय में राम हैं
जन-जन की जो पीड़ा हरे, उसके ह्रदय में राम हैं
तन से यहाँ जो शुद्ध हो, और मन से भी प्रबुद्ध हो
हो कर्म जिसके कृष्ण जैसे, त्याग में जो बुद्ध हो
मुख से सदा मोती झरे, उसके ह्रदय में राम हैं
रहे राष्ट्र के उत्थान में, इस विश्व के कल्याण में
कर दे समर्पित जो स्वयं को, मातृभूमि की आन में
रक्षार्थ धर्म जो कट मरे, उसके ह्रदय में राम हैं
आदर्शमय जीवन सरल, अमृत को दे पी ले गरल
कर्तव्य पूरित कर्म हो, फिर चाहे जैसा भी हो फल
संकट हो सम्मुख ना डरे, उसके ह्रदय में राम हैं
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-नितीन उपाध्ये