शब्दों के बिन
शब्दों के बिन जाना वो सब, शब्दों से जो परे है
प्रियकर मेरे, मौन के तेरे, अर्थ बड़े गहरे है
सामने जब तू छम से आई
आँखों में बिजली लहराई
इंद्रधनुष के रंग सभी इन आँखों में उतरे है
शब्दों से जो परे है
गीतों में नए अर्थ जगे है
सूर आज सब सम पे लगे है
पर उस दिन से तेरे आगे सूर मेरे ठहरे है
शब्दों से जो परे है
स्मरण करो पूनम की रजनी
लाखों लाख आँखों में अपनी
तिलिस्म सारे इस दुनिया के चांदनी से निखरे है
शब्दों से जो परे है
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-नितीन उपाध्ये