राम भजन
रामा रघु नंदना, रामा रघु नंदना
चरण कमल कब ले आओगे दाता मेरे अंगना
रामा रघु नंदना
कब से तेरी राह निहारूं
अपना सब कुछ तुझ पर वीरूं
तेरे दरस से जनम सवारूं
चरण धूलि से तन मन अपना दाता मुझे रंगना
रामा रघु नंदना (1)
ना ही शीला, ना ही पत्थर
बन के अहिल्या जाती मैं तर
शबरी जैसा भाग्य नहीं पर
चाहूं दर्शन पापी हूँ मैं, मूढमति मंद ना
रामा रघु नंदना (2)
मुख से तेरी गाऊँ गाथा
चरणों में रख दूँ ये माथा
मेरा ऐसा भाग्य कहाँ था
सामने हो तू सांसे मेरी गाये तेरी वंदना
रामा रघु नंदना (3)
पतझड़ जैसा मेरा जीवन
ना ही शरद न आया सावन
अपनी कृपा से कर दो पावन
तेरे द्वारे आने को मैं मानू कोई बंध ना
रामा रघु नंदना
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-नितीन उपाध्ये