मेरी नवल जवानी

ऊँचे पर्वत, नीला आसमाँ, नौका और पतवार।
मेरी नवल जवानी को छू जाती, शीतल मंद बयार।।

प्रकृति का सौंदर्य, और सूर्य की मुस्कान।
मिल जाये जहाँ, उसे ही तू जीवन जान।।

दिल को सुकून, आँखों को तसल्ली देते हैं।
चलो, जिन्दगी जीते हैं।।

रंगीन शाम है, उम्र भी है जवाँ।
चलो चलते हैं, ये दिल ले जाये जहाँ।।

क्षितिज से मिलती हैं लहरें जहाँ,
उस पार न जाने क्या होगा?
इस पार बहुत से बंधन हैं,
उस पार न जाने क्या होगा?

मध्यम सूरज, नीला आसमाँ, सरसर बहता पानी,
हसीं वादियों में है बहती, मेरी नवल जवानी।।

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-सूर्य प्रताप सिंह

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