समय का वरदान!
बदल जाता समय-संग ही प्यार का प्रतिमान।
समय का वरदान !
साथ था उनका अजाना, वह समय कितना सुहाना।
एक अनजाने से पथ पर, युव पगों का संग उठना॥
कुछ झिझक, कुछ पुलक थी, एक सिहरन हृदयगत थी,
जागती आँखों में सपने, मन का हर पल गुनगुनाना।
प्यार की लम्बी डगर का, प्रथम ही सोपान,
समय का वरदान !
इन्द्रधनुषी सपन सुन्दर, पर तभी बदलाव आया।
भावपूरित मन वही था, किन्तु इक ठहराव आया॥
मन्द था आवेग, अपनी श्वास में, प्रश्वास में।
आस्था भी गहनतर, अब प्रेम में, विश्वास में॥
था अनोखा नहीं कुछ, बस भाव दान-प्रदान,
समय का वरदान !
समय बीता साथ कितना, संग सुख-दुख हैं सहे।
सच यही, हम समझ जाते, दूसरे की बिन कहे॥
जान लेना ‘हाँ ’ को उनकी, देखकर मुस्कान किंचित,
समझ लेना ‘ना’ को भी बस, देखकर भ्रू-भंग कुंचित॥
प्रेम-गरिमा भरे मन में शांति और विश्राम।
समय का वरदान !
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-आशा बर्मन