हिन्दी भाषा

हिन्दी है मेरी अनमोल प्यारी मातृभाषा
बने सबकी अभिव्यक्ति की साख ऐसी अभिलाषा
टोक्यो की हिन्दी सभा शिविर में आकर ये विचार आया
करे हिन्दी के उत्थान के लिए कुछ ये भाव आया
हिन्दी में भावों की अभिव्यक्ति कितनी सुखद सरल है
इसका उच्चारण भी कितना शुद्ध और सटीक है
कई कवियों और लेखकों ने अपनी कृतियों से इसे सजाया है
पर अभी भी बहुत कुछ है इसे और अलंकृत करने के लिए
इसे राष्ट्रभाषा की जगह विश्वभाषा बनाने के लिए
आईए इस सभा में आज हम सब ये प्रण ले
करेंगे हरसंभव प्रयास इसके उत्थान के लिए
तभी अपने जीवन की सार्थकता को सिद्ध कर सकेंगे
जिस देश में जन्मे हम उसको सादर नमन कर सकेंगे

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-रंजना सिंह

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