ज्योति गीत

हों सहस्त्र ज्योति दीप, हों सहस्त्र ज्योति कण,
हों सहस्त्र ज्योति गीत, हों सहस्त्र ज्योति क्षण,

थिरकते हों ज्योति स्वर, काल के अवशेष पर,
महकते हों पारिजात, ज्योति रश्मि केश पर।
ज्योति अंगवस्त्र का हो हृदय में अवतरण
हों सहस्त्र ज्योति दीप, हों सहस्त्र ज्योति कण।

ज्योतिर्मय प्राण बनें एक ज्योति बिन्दु
ज्योति कलश में झलके पूर्ण ज्योति इंदु
शुभांगिनी धरा करे, ज्योति सिंधु का वरण,
हों सहस्त्र ज्योति दीप, हों सहस्त्र ज्योति कण।

ज्योतिर्मय चिन्तन हो, ज्योतिर्मय मन
ज्योति अरविंद सा खिले ज्योति तन
स्वस्ति नक्षत्र करें ज्योति गगन में रमण
हों सहस्त्र ज्योति दीप, हों सहस्त्र ज्योति कण।

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-नीलम वर्मा

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