जनमानस में राम
सूर्य सगर्व निरखता,
सरयु-साकेत समन्त,
वन्दन से वंदनवार तक,
रामबाण अरिहन्त।
नित्य प्रति हो सुखकारी
श्रीरामकथा का श्रवण,
हरें सकल हिय की व्यथा
श्रीजानकी श्रीचरण।
शेषनाग अवतार रूप
सद्गुण शुभ लक्षण,
तत्पर प्राण समर्पण को
रामानुज लक्ष्मण।
राम दिखे या दिखे भरत
दो रूप ये एक समान
राजस्व नियंता शत्रुघ्न
संरक्षक सुमित सुजान
अवधपुरी में अनुकंपित
श्रीराम नाम का मान,
जनमानस में अनुरंजित
करुणामय का ध्यान।
दृष्टि कुपित-सृष्टि प्रलय
भृकुटिमात्र संकेत
वरद हस्त शुद्धि करे
प्रबुद्ध बुद्धि संचेत
चरणामृत से ही अभय
अवनितल और दिगंत
शीष नवाए परमप्रिय
हरि सेवक हनुमंत।
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-नीलम वर्मा