डायनासोर
मैं डायनासोरों की राजधानी
ड्रमहेलर, कनाडा में हूँ।
मुझे नहीं लगता
करोड़ों साल पहले मैं रहा होऊँगा यहाँ
पर्वत शृंखलाओं को
रेत-रेत घाटियाँ बनते देखने के लिए।
वे बहुत बड़े थे
आदमी से लंबी तो उनकी जाँघें थीं
बारह आदमियों को एक साथ
मुँह में भरकर चबा सकते थे
वे बड़े थे, इतने बड़े थे
कि एक दिन
उनका टूट-टूट कर मर जाना तय था।
वे गर्दन झुकाए देखते भी तो
बर्फ़ में दौड़ती गिलहरियाँ
नज़र नहीं आती थीं उन्हें।
वे सिर्फ़ आसमान देखते थे।
जो शाकाहारी थे
फलों की बजाय पेड़ों को खा जाते थे
जो माँसाहारी थे उन्होंने तय किया था
वे जानवर तो क्या
किसी प्रजाति को
नहीं पनपने देंगे धरती पर।
वे सब मर गए एक दिन।
धरती के गर्भ में
उसी तेवर के साथ
फिर आदमी बनने लगा
डायनासोर की जगह भरने।
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-धर्मपाल महेंद्र जैन