
भाषा की खोज
पूरा दो साल का होने को आया बच्चा
अभी भी चुप है
सबको फिकर है . . .
बोलना शुरू किया क्या??
बच्चा, चुप देखता है,
समझता है सब,
समझा भी देता है,
बस . . .भाषा से बचता है।
समझ नहीं पाता,
बोले तो कौन सी भाषा . . .
वो जो टी.वी. के रंगीन पर्दे पर
बँदूक लिये दौड़ती है?
या जो पिता की
नाक और आँखों के बीच टँगी रहती है?
या जो माँ के
होंठों और ठोढ़ी पर काँपती है?
भाषा, जो पड़ोसन की
नाचती-जाँचती आँखों में होती है?
भाषा, जो अपने से बड़े
पड़ौसी बच्चे के धक्के में होती है?
भाषा, जो घर काम करने आई
औरत की थकान में होती है?
या, दादी की कठोर चुप्पी में होती है?
या, बाबा की अकेली
बुड़बुड़ाहट में होती है?
बच्चा सब देखता है
फूल-पत्ते, चिड़ि या-आसमान
माँ-पिता, दादी-बाबा, टी.वी., महरी, पड़ौसी
इतनी भाषाओं के बीच कर नहीं पाता तय
अपनी भाषा . . .
तुतला कर रह जाता है . . .
सबको फिकर है, बच्चा बोलता नहीं है कुछ॥
*****
– डॉ. शैलजा सक्सेना