ख़ामोशी कभी न छटने वाली उस धुंध की तरह है …

ख़ामोशी कभी न छटने वाली उस धुंध की तरह है …
जिसमे किसी के चेहरे की कुछ परतें …
दिखाईं देती भी रहतीं हैं और नहीं भी ….
एक वहम बना रहता है …
धूप के निकलने का …

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-पूनम चंद्रा ‘मनु’

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