भला क्यों ?
कुछ लिखना है मुझे,
भला क्यों ?
क्या तुम बांटना चाहती हो
अपने भाव,जाने अनजाने
लोगों के साथ,
या अपने भावोँ को
लेखनि के द्वारा
कागज़ पर उतार कर
अपने अंतर की
परछाई देखना चाहती हो,
वह परछाई तुम्हारा
अपने आप से परिचय करवाएगी,
या तुम किसी असमंजस में डूबी
यूँ ही चलती रहोगी ?
अपनी ढलती उम्र के
आने वाले अंतिम वर्षों में
अपनी छपी पुस्तक
अपने सिरहाने रख
बीते क्षणों को
फिर से देखना चाहोगी
उसे पढ़ कर,
उसे छू कर,
अपने से फिर परिचय
करोगी!!
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-स्नेह सिंघवी