सुनहरा धागा 

मेरे विचारों की बस्ती में
आज कुछ उधेड़ बुन है,
एक फंदा गिरता है,
एक फन्दा फिर उठता है,
बनने के बाद ‘पेटर्न ‘
कैसा बनेगा,
कह नहीं सकती
पर यह देख कर
अच्छा लगता है
कि धागा सुनहरा है

*****

-स्नेह सिंघवी

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