Category: स्नेह  सिंघवी

सुनहरा धागा – (कविता)

सुनहरा धागा मेरे विचारों की बस्ती मेंआज कुछ उधेड़ बुन है,एक फंदा गिरता है,एक फन्दा फिर उठता है,बनने के बाद ‘पेटर्न ‘कैसा बनेगा,कह नहीं सकतीपर यह देख करअच्छा लगता हैकि…

भला क्यों ? – (कविता)

भला क्यों ? कुछ लिखना है मुझे,भला क्यों ?क्या तुम बांटना चाहती होअपने भाव,जाने अनजानेलोगों के साथ,या अपने भावोँ कोलेखनि के द्वाराकागज़ पर उतार करअपने अंतर कीपरछाई देखना चाहती हो,वह…

अश्रु – (कविता)

अश्रु अश्रु तुम अंतर की गाथाचुपके चुपके कहतेअंतरतम को खोलजगत के आगे मेरा रखते,तुम बिन गरिमा प्यार व्यथाकी गाथा कौन भला कहतेअनुभावों की कथा आजबोलो यूँ कौन कहा फिरते,आज छिपा…

मनुहार – (कविता)

मनुहार प्रणय मांगने आया था मैंद्वार तुम्हारे अरि अजानतुम सरका मधु चषकों सेकरती थी मेरा सत्कार,खाली मधु चषकों सेकरती जाओगी सत्कारया हर पाओगी तुम मेरेअंतर का थोड़ा व्यथा भार,मेरी इन…

सूर्योदय – (कविता)

सूर्योदय पतझड़ कानन मेंपीले पत्तों से लदेऊंचे ऊंचे वृक्ष खड़े थेबीच बीच से लालपत्तिंयां झाँक रहीं थींमानो किसी ने कुमकुमके छींटें लगा,वृक्षों की पूजा करी हो,तभी सूर्य देव नेअपनी अलसाईआँखें…

ज्वार – (कविता)

ज्वार आज तुमने मुझे फिर पुकाराआज तुमने मुझे फिर पुकाराऔर मेरे अंतर की तह कोफिर से हिला दियाज्वार भाटे की तरहमेरे छिपे हुए अवसादमेरी सोई हुई अनुभूतियाँयूँ उभर आई जैसेखुले…

तुम और मैं – (कविता)

तुम और मैं तुम और मैंएक अनोखी पहेलीतुम, मैं और बीता हुआ वह क्षणएक खुबसूरत धरोहर,बीते हुए वो क्षणसूई और धागे सेमैने कई बारस्मृति के आँचल परसिं देने की कौशिश…

प्रेम गीत – (कविता)

प्रेम गीत मन की गहराई मेंआँखों के द्वारों सेतुमने चुपचाप अनजानें मेंमेरे भावों के कोनों को छू करहै आज विवश सी बांधीमेरे जीवन की लहरेंजो ऊँची और नीची बिखरींतट से…

अनुभूति – (कविता)

अनुभूति आह वेदने अश्रु चुरा तुमआज हंस रही मादक हासअरि खोजती नटखट सीतुम अनुभावों के आहत दाग,आज खड़ी तुम समय ‘शील’ परठिटक-ठिटक कर करती हासअनुभवों के चषक बेंचक्या करती जीवा…

मधु स्मृति – (कविता)

मधु स्मृति अवसादों की भीड़भाड़ मेंऔर विषाद के परिहास मेंप्राणों के सूने आंगन मेंअश्कों के बहते प्रवाह मेंमधु स्मृति !तुम थोड़ा मन बहलादो,तुम थोड़ा मन बहलादो,आज बहकती सी यादों मेंआज…

स्नेह  सिंघवी

स्नेह सिंघवी उदयपुर जन्मभूमि एवं राजस्थान विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में मास्टर्स की उपाधि। कविता द्वारा अपने आपको अभिव्यक्त करने की रूचि विद्यार्थी जीवन से ही रही है। छायावादी साहित्य…

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