Category: यूरोप

यूरोप

मेरी खामोशी (झूठ, झूठ, झूठ संग्रह से) – (कविता)

मेरी खामोशी मेरी खामोशीएक गर्भाशय हैजिसमें पनप रहा हैतुम्हारा झूठएक दिन जनेगी येतुम्हारी अपराध भावना कोमैं जानती हूँ कितुम साफ़ नकार जाओगेइससे अपना रिश्तायदि मुकर न भी पाये तोउसे किसी…

लौट आई हूँ लन्दन – (कविता)

लौट आई हूँ लन्दन लौट आई हूँ लन्दनछोड़ के वृन्दावनसाफ़-सुथरी पक्की सड़क परहरे और घने दरख्तों से घिरेएक बेधूल और सुसज्जित घर मेंजहाँ गर्मी में पसीना नहींन ही सर्दी में…

विस्मृति के द्वार: बाबा-अम्मा और मैं – (संस्मरण)

विस्मृति के द्वार: बाबा-अम्मा और मैं –दिव्या माथुर ये संस्मरण 18वीं सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरुआत के हैं। पड़दादा और पड़दादी को मैंने केवल फ़ोटोज़ में ही…

मनीष पाण्डेय

जन्म: 22 जून 1979 को ग्राम पचोरी, जिला: जाँजगीर-चाम्पा, छत्तीसगढ़ में जन्म शिक्षा: भारत से कंप्यूटर साइंस में एम.एस.सी. और निदरलैंड्स से एम.बी.ए. संप्रति: सन् 2006 से अमेरिका और यूरोप…

एक छोटी सी चाह… – अर्चना पैन्यूली

स्वाति शुरू से ही जानती थी कि इवा उसकी अपनी माँ नहीं है। मगर जबसे तेरह की हुई तो उसके अवचेतन मस्तिष्क में सुप्त पड़े कुछ प्रश्न नई चेतना पा…

दो अँजुरी पानी

आजकल मैं भारत की राजधानी नई दिल्ली से कुछ 6300 किमी दूर, यूरोप के एक प्रतिष्ठित शहर लक्सेम्बर्ग में रहता हूँ। यह शहर इस देश की राजधानी भी है और…

नयी राह

चलते-चलते जीवन पथ पर,एक नदी के सुंदर तट पर|देखा जो तरुवर की छाया,सुस्ताने को मन हो आया|| कर विचार यह सुंदर उपवन,सुखकर होगा इसमें जीवन|संगी-साथी मीत बनाये,प्रेम भाव के दीप…

हे राम मेरे तब तुम आना

जब एकाकी मन घबराए,सूनेपन से जी भर जाये |ले समय कभी उलटे फेरे,हो अंधकार चहुंदिक मेरे|पर चाहूँ “दीप शिखा” पाना,हे! राम मेरे, तब तुम आना || १ || जब थक…

अर्चना पैन्यूली – (परिचय)

अर्चना पैन्यूली जन्म : 17 मई 1963, कानपुर, उत्तर प्रदेश अर्चना पैन्यूली मूलतः भारत के उत्तराखंड राज्य से हैं। 1997 से डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में रह रही हैं, जहाँ…

अंतिम तीन दिन – दिव्या माथुर

अपने ही घर में माया चूहे सी चुपचाप घुसी और सीधे अपने शयनकक्ष में जाकर बिस्तर पर बैठ गई; स्तब्ध। जीवन में आज पहली बार मानो सोच के घोड़ों की…

Translate This Website »