प्रवासी लेखिका का फ़ेंग शुई – (कहानी)
प्रवासी लेखिका का फ़ेंग शुई डॉ आरती ‘लोकेश’ अरुंधति घर के दरवाज़े पर पहुँची ही थी कि घनघनाती फ़ोन की घंटी बंद दरवाज़े के बाहर तक सुनाई पड़ रही थी।…
हिंदी का वैश्विक मंच
प्रवासी लेखिका का फ़ेंग शुई डॉ आरती ‘लोकेश’ अरुंधति घर के दरवाज़े पर पहुँची ही थी कि घनघनाती फ़ोन की घंटी बंद दरवाज़े के बाहर तक सुनाई पड़ रही थी।…
फ़िबोनाची प्रेम डॉ आरती ‘लोकेश’ “ये सुनंदा ने दुबई की फ्लाइट क्यों ली? …जबकि उसे मालूम था कि हम आबुधाबी रहते हैं। … इतनी दूर जाना आसान है क्या?” अश्विन…
दस रुपए का सिक्का डॉ आरती ‘लोकेश’ उफ़्फ़! दिख ही नहीं रहा। कहाँ चला गया? अलमारी के नीचे तो नहीं? पचहत्तर की हो चली हूँ। आँखों की रोशनी भी खत्म…
फूस की सीढ़ी डॉ आरती ‘लोकेश’ समाचार-पत्र में कल के आयोजन की खबर खूब चमक रही थी। साध्वी गौर से सब पढ़ ही रही थी कि फ़ोन की घंटी बजी।…
गजदंत डॉ आरती ‘लोकेश’ घर आते ही गौतमी ने अपने चेहरे से थकान उतारकर अपनी वर्दी के साथ ही अलगनी पर टाँग दी। हाथ-मुँह धोया, कपड़े बदले। आईने में खुद…
आधी माँ, अधूरा कर्ज़ डॉ आरती ‘लोकेश’ आज सुबह अपनी हवेली से निकल छोटी माँ की हवेली में आई तो गहमा-गहमी मची हुई थी। दोनों हवेलियों के मध्य दालान वाला…
विराम को विश्राम कहाँ! -आरती लोकेश गए दिनों कुछ संपादकीय कार्य करते हुए मुझे लगभग एक ही जैसी चीज़ें बार-बार खटकीं। कुछ रचनाएँ, शब्द संयोजन, वाक्य विन्यास और विराम चिह्न…
श्येन परों पर ठहरी हिन्दी -डॉ. आरती ‘लोकेश’ दुबई, यू.ए.ई. किसी विदेश भ्रमण के दौरान हर व्यक्ति एक विदेशी भाषा को हर समय सुनने के लिए अपने कानों को तैयार…
बाबा की धूल प्रभु मुझे नव जन्म में करना, बाबा की बगिया का फूल । और नहीं तो मुझको करना, बगिया की मिट्टी की धूल । क्यारी में पानी देते…
आधी माँ, अधूरा कर्ज़ -आरती लोकेश आज सुबह अपनी हवेली से निकल छोटी माँ की हवेली में आई तो गहमा-गहमी मची हुई थी। दोनों हवेलियों के मध्य दालान वाला एक…
डॉ. आरती ‘लोकेश’ ढाई दशकों से दुबई में निवास करती हैं। तीन दशकों से शिक्षण कार्य करते हुए यू.ए.ई. के विद्यालय में वरिष्ठ मुख्याध्यापिका हैं। अंग्रेज़ी-हिन्दी दोनों विषयों में स्नातकोत्तर…