Category: धर्मपाल महेंद्र जैन

आत्मीय लोग – (कविता)

आत्मीय लोग कनाडा के सरकारी दफ्तर आया हूँस्वागतकर्मी पूछती है –क्या सहायता करूँ ?पेंशनर हूँ, आदतन तीन-चार काम निकाले हैंवह मुस्कुराती एक पेपर टोकन देती हैऔर संबंधित फ़ॉर्म।मेरा क्रम जल्दी…

लेक ओंटेरियो पर – (कविता)

लेक ओंटेरियो पर होना तो इसे समुद्र चाहिए थाकहीं कमतर नहीं यह झीलजहाँ तक जाती है मेरी दृष्टि इस छोर सेकोई तटबंध नहीं दिखतेपर मेरे कहने से नहीं बदलता भूगोलउसकी…

मेपल तरु के साक़ – (कविता)

मेपल तरु के साक़ यह अलग ही बसंत हैजब मैं उसे बाँहों में भरमहसूसना चाहता हूँउसके वक्ष का खुरदरापनमुझमें उतरतेउसके टप-टप मीठे रस कोसमेटना चाहता हूँतने से बाल्टी बाँधते हुए।…

डायनासोर – (कविता)

डायनासोर मैं डायनासोरों की राजधानीड्रमहेलर, कनाडा में हूँ।मुझे नहीं लगताकरोड़ों साल पहले मैं रहा होऊँगा यहाँपर्वत शृंखलाओं कोरेत-रेत घाटियाँ बनते देखने के लिए। वे बहुत बड़े थेआदमी से लंबी तो…

सारा टैक्स जाता कहाँ है

मैं गणित में कमज़ोर हूँ पर मेरी सरकार गणित में महाकमज़ोर है। सरकार को गणित नहीं आता तो भी वह बड़े-बड़े जोड़ लगाती है। बिलियनों डॉलर के जोड़ लगाती है…

संस्कृति के आधुनिक संस्कार

कैनेडा और अमेरिका की ठंडी हवा में मीठी-मीठी ख़ुमारी है। प्राणवायु के साथ लोगों को मेरुआना और गाँजे के धुएँ का लुत्फ़ मुफ़्त मिलता है। यहाँ भारत जैसा भेदभाव नहीं…

धर्मपाल महेंद्र जैन

जन्म स्थान : रानापुर, जिला – झाबुआ (म. प्र.) वर्तमान निवास : टोरोंटो (ओंटेरियो) शिक्षा : भौतिकी, हिन्दी एवं अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर प्रकाशित रचनाएँ : “दिमाग़ वालो सावधान” एवं “सर…

Translate This Website »