Category: प्रगति टिपणीस

साहित्यिक अनुवाद से जुड़ीं चुनौतियाँ – (निबंध)

अनुवाद के साथ मेरा राब्ता कुछ दस साल पहले हुआ, जब मैंने रेडियो रूस में बतौर अनुवादक और उद्घोषक काम शुरू किया था। बावजूद इसके कि हिंदी और रूसी भाषाएँ…

प्रतीकऔर संकेत

मूल लेखक – व्लादिमीर व्लादिमीरोविच नाबोकोव (मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद – प्रगति टिपणीस) इतने सालों में चौथी बार वे फिर इस बात पर सिर खपा रहे थे कि उस नौजवान…

कुछ परीकथाएँ जो बच्चों के लिए नहीं हैं

(मूल भाषा रूसी से अनुवाद – प्रगति टिपणीस) अख़रोट- लियोनिद निकोलायेविच आंद्रेयेव एक समय की बात है। हरे-भरे एक जंगल में एक बहुत सुंदर गिलहरी रहती थी जिसे हर कोई…

लालफूल – (कहानी)

(कहानीकार – वस्येवलद गार्शिन) (रूसी भाषा से हिंदी में अनुवाद – प्रगति टिपणीस) I. – महाराजाधिराज पीटर प्रथम के आदेश पर मैं इस पागलख़ाने के मुआयने का ऐलान करता हूँ!…

यह हवाओं का चलना  – (रिपोतार्ज)

सुना था कि हवाएँ मौसम का रुख़ बदलती हैं, हमारी सोच के मौसम का भी, समाज के मौसम का भी। आजकल सुबह होते ही फ़ोन पर दिन का मौसम देखने…

पूश्किन हमारा सब कुछ हैं… (शोध आलेख)

6 जून 1799 को पूश्किन का जन्म हुआ, उन्हें उम्र 37 साल की मिली। यह उम्र अंकों में छोटी लगती है लेकिन किए गए काम कहते हैं कि वह सार्थक…

अपनी जगह, अपना शहर  – (निबंध)

आजकल दुनिया निरंतर सिमटती जा रही है और लोग बेहतर काम और जीवन की तलाश में न सिर्फ़, अपना गाँव और शहर बदलते रहते हैं हैं बल्कि देश और महाद्वीप…

शहर की रूह – सदियों को समेटते चंद रास्ते – (यात्रा संस्मरण)

सुबह तेज़ बारिश हो रही थी, हवा भी तेज़ थी। आभास था कि दिन सुस्त और बादलों से घिरा रहेगा। फिर पता चला कि शहर के केंद्र में उसकी कुछ…

मात्र सड़क का एक नुक्कड़ या विरोधाभासों का बवंडर – (यात्रा संस्मरण)

परिवर्तन ही सृष्टि के चालक हैं। कई सदियाँ बोल रही थीं, परिवर्तन की कहानी कह रही थीं और हमारे जैसे सैलानियों का समूह जो अपने शहर यानी मॉस्को को बेहतर…

रूस का पास्ख़ा और कैथोलिक जगत का ईस्टर – (यात्रा संस्मरण)

मौसम कैसे भी करवट क्यों न ले, वसंत गर्माहट लाने में देर करे या घोड़े पर सवार हो कर आए; विलो (Willow) प्रजाति का एक पेड़ है जो रूसी भाषा…

रूसी लेखकों और अन्य कलाकर्मियों का अड्डा- जागीर अब्राम्त्सेवा – (यात्रा संस्मरण)

ताल को जाती ढलान पर दूब की मख़मली क़ालीन बिछ गई है। सारा वातावरण वसंत की तस्वीर बना हुआ था, मैं उसका रसपान करते-करते अपने ख़यालों में लीन चली जा…

इंतज़ार – (कहानी)

ख़ाकी पोशाकें और भारी फ़ौजी बूट पहने धूल से पूरी तरह लथपथ वे अपने ख़ेमों की ओर लौट रहे थे। उनके चेहरे बता रहे थे कि मन में बहुत उथल-पुथल…

नाम – (कहानी)

प्रणव बाबू अकेले रहते थे। उनकी पत्नी का देहांत हुए दो साल हो गए थे। उनके बच्चे दुनिया के दो कोनों में रहते थे – अमरीका और ऑस्ट्रेलिया। हालाँकि भारत…

आइपेरी – (कहानी)

घंटी बजने पर दरवाज़ा खोला तो वहाँ पर सोनिया एक सहमी से उन्नीस-बीस साल की लड़की के साथ खड़ी थी। सोनिया को मैं जानती थी, वह मेरी एक सहेली के…

प्रगति टिपणीस

प्रगति टिपणीस 28 सितम्बर 1962 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में जन्मी प्रगति टिपणीस तीन से अधिक दशकों से मॉस्को, रूस में रह रही हैं। शिक्षा इन्होंने अभियांत्रिकी और प्रबंधन में…

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