जापान की प्राथमिक शिक्षा
मिज़ुकी कोजिमा जापान की प्राथमिक शिक्षा नौ साल की है। पहले छह साल की शिक्षा को जापानी भाषा शोगाक्को Shogakko (しょうがっこう) कहते हैं और अगले तीन साल की शिक्षा को…
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मिज़ुकी कोजिमा जापान की प्राथमिक शिक्षा नौ साल की है। पहले छह साल की शिक्षा को जापानी भाषा शोगाक्को Shogakko (しょうがっこう) कहते हैं और अगले तीन साल की शिक्षा को…
रीसा काईतो द्वितीय वर्ष ओसाका विश्वविद्यालय जापान के एनिमेशन और कार्टून पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं। जापान में हर साल अनेक एनिमेशन और कार्टून बनाए जाते हैं। जापान के एनिमेशन…
मासुगा सुजी द्वितीय वर्ष ओसाका विश्वविद्यालय जापान में फिल्म संस्कृति का एक लंबा इतिहास है। जापान में पहला सिनेमा घर योकोहामा में बनाया गया था। इससे लोगों को फिल्में देखने…
मोएका ताकेदा तृतीय वर्ष, ओसाका विश्वविद्यालय मेरा नाम मोएका ताकेदा है। मैं बीस साल की एक जापानी लड़की हूँ। मैं आईची प्रिफेक्चर से हूँ। अब मैं ओसाका में रहती हूँ।…
सासाकी यूज़ूकी तृतीय वर्ष, ओसाका विश्वविद्यालय मैंने जापान में दो प्रिफ़ेक्चर में अकेले ही यात्रा की। इस के बारे में मैं लिखूँगी। इस मई को कूमामोतो के आसो नामक स्थान…
माओ ओनिशी एम ए, अर्थशास्त्र, दुनिया में अनेक-अनेक तरह के काम हैं। किसी के लिए सफाई करना एक काम है, जबकि किसी के लिए गाना गाना भी काम हो सकता…
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अनुवाद के साथ मेरा राब्ता कुछ दस साल पहले हुआ, जब मैंने रेडियो रूस में बतौर अनुवादक और उद्घोषक काम शुरू किया था। बावजूद इसके कि हिंदी और रूसी भाषाएँ…
मूल लेखक – व्लादिमीर व्लादिमीरोविच नाबोकोव (मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद – प्रगति टिपणीस) इतने सालों में चौथी बार वे फिर इस बात पर सिर खपा रहे थे कि उस नौजवान…
व्लादिमीर व्लादिमीरोविच नाबोकोव (रूसी: Владимир Владимирович Набоков ; अप्रैल 1899 – 2 जुलाई 1977), जिसे व्लादिमीर सिरिन (Владимир Сирин) के उपनाम से भी जाना जाता है। रूसी-अमेरिकी उपन्यासकार, कवि, अनुवादक…
(मूल भाषा रूसी से अनुवाद – प्रगति टिपणीस) अख़रोट- लियोनिद निकोलायेविच आंद्रेयेव एक समय की बात है। हरे-भरे एक जंगल में एक बहुत सुंदर गिलहरी रहती थी जिसे हर कोई…
लियोनिद निकोलायेविच आंद्रेयेव (रूसी: Леони́д Никола́евич Андре́ев, 21 अगस्त 1871 – 12 सितंबर 1919) एक रूसी नाटककार, उपन्यासकार और लघु-कथा लेखक थे, जिन्हें रूसी साहित्य में अभिव्यक्तिवाद का जनक माना…
(1) असहिष्णु चुप थी गंगा सदियों से तो बड़ी भली थी लगी बोलने जब से दुनिया है अचरज में। कितना बड़ा अनर्थ हो रहा है भूतल पर! दासी देती है…
‘एक बार और जाल फेंक रे मछेरे/जाने किस मछली में बंधन की चाह हो’ जैसे अनेकों कालजयी गीतों के कवि डॉ बुद्धिनाथ मिश्र आधी सदी से हिन्दी काव्य मंच के…
(कहानीकार – वस्येवलद गार्शिन) (रूसी भाषा से हिंदी में अनुवाद – प्रगति टिपणीस) I. – महाराजाधिराज पीटर प्रथम के आदेश पर मैं इस पागलख़ाने के मुआयने का ऐलान करता हूँ!…
वस्येवलद गार्शिन (1855-1888) रूसी साहित्यकार। वस्येवलद गार्शिन रूसी साहित्य में थोड़ा लिखकर भी अपनी एक अलग पहचान रखते हैं। “गार्शिन से अधिक प्रतिभाशाली, अधिक विख्यात और अधिक महत्त्वपूर्ण लेखक भी…
कौन देश को वासी, वेणु की डायरी – डॉ. जयशंकर यादव) प्रवासी भारतीय होना भारतीय समाज की महत्वाकांक्षा भी है,सपना भी है,कैरियर भी है और सब कुछ मिल जाने के…
सुना था कि हवाएँ मौसम का रुख़ बदलती हैं, हमारी सोच के मौसम का भी, समाज के मौसम का भी। आजकल सुबह होते ही फ़ोन पर दिन का मौसम देखने…